हमारे देश मै जीएसटी 1 July 2017 से लागू होगा। संशोधनों को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह इन्हें पारित कराना होगा। इसके बाद इसे राज्यों की विधानसभाओं का समर्थन लेना होगा।
फिर वास्तविक जीएसटी बिल पर संसद के दोनों सदनों में बहस होगी। राज्यों को भी अपनी विधानसभाओं में जीएसटी बिल पारित कराना होगा। इस लंबी प्रक्रिया के बाद ही जीएसटी लागू होगा।
इससे पहले जीएसटी को लेकर विवाद सुलझाने के लिए वित्त मंत्री जेटली ने अपनी ओर से पहल कर राज्यों को क्षति पूर्ति का वादा किया था।
GST बिल पास लेकिन ये तो अंत की शुरुआत है
गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स बिल यानि जीएसटी बिल की हालत उस रेसलर की तरह रही है जो बार-बार राज्यसभा की रिंग में पटखनी खाता रहा और आख़िरकार सालों के बाद ही सही, लेकिन उसने मैच जीत ही लिया. राज्यसभा में जीएसटी बिल के पक्ष में 203 वोट पड़े तो सरकार और वित्तमंत्री के चेहरे की ख़ुशी बता रही थी कि अच्छे दिन लाने से भी ज़्यादा मुश्किल शायद इस बिल को पास कराना रहा है.
लेकिन अभी तो बस अंत की शुरुआत है. यानि रेसलर ने पहला मैच जीता है और फ़ाइनल तक पहुंचने और पदक जीतने का सफ़र अभी बाकी है. दरअसल फ़ाइनल तक पहुंचने के लिए अभी जीएसटी को कई और मकाम हासिल करने होंगे.
जीएसटी की आगे की राह
अभी सबसे पहले बिल वापस लोकसभा जाएगा जहां राज्यसभा में हुए बदलावों को लोकसभा की भी मंज़ूरी के लिए रखा जाएगा.इसके बाद बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं की रज़ामंदी हासिल करनी होगी.आख़िर में बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा उनकी मंज़ूरी के लिए.
राष्ट्रपति के दस्तख़त के बाद शुरू होगी बिल को अमलीजामा पहनाने यानि उसे लागू करने की कड़ी मशक्कत. दरअसल जीएसटी एक ऐसा बिल है, जो पूरे देश के टैक्स सिस्टम को एक धागे में पिरो देगा. इसलिए केन्द्र और राज्य, दोनों को साथ मिलकर एक साथ बिल को लागू करने की दिशा में काम करना होगा. सरकार चाहती है कि बिल को 1 अप्रैल 2017 से लागू कर दिया जाए जिसके लिए ये काम बहुत तेज़ी से करना होगा. सरकार को 60 दिन के अंदर जीएसटी काउंसिल का गठन करना होगा जो टैक्स की दर तय करने के साथ कई अहम मुद्दों पर इस बिल की रूपरेखा तय कर देगी. हालांकि टैक्स की दर तय करने के साथ साथ कई और कदम तेज़ी से बढ़ाने होंगे अगर बिल को 1 अप्रैल 2017 से लागू करना है. ऐसे में
1.तीन नए क़ानून बनाए जाएंगे
2. सेंट्रल जीएसटी (CGST), इंटिग्रेटेड जीएसटी और स्टेट जीएसटी बिल
3. सेंट्रल जीएसटी और इंटिग्रेटेड जीएसटी को संसद से पास कराना होगा
4. स्टेट जीएसटी बिल के लिए 29 राज्यों के रज़ामंदी की ज़रूरत पड़ेगी
5. राज्यों का अपना जीएसटी बिल केन्द्र के जीएसटी बिल के अनुरूप ही होगा
बहरहाल, क़ानून बनाने, लाने और पास कराने से अलग जीएसटी को मुकम्मल तौर पर लागू कर देने की एक चुनौती तकनीकी तौर पर भी है. सरकार को जीएसटी नेटवर्क की ज़रूरत पड़ेगी जिससे टैक्स देने वालों के केन्द्र और राज्य दोनों के डेटाबेस जुड़े होंगे. इसके ज़रिए बिना किसी परेशानी के टैक्स वसूली का हिसाब रखा जा सकेगा और राज्यों को उनके हिस्से का टैक्स मिलता रहेगा. हालांकि सरकार ने इसकी तैयारी बिल के पास होने के पहले ही शुरू कर दी थी. साल 2013 में ही जीएसटीएन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना दी गई थी जो तकनीकी पक्ष पर काम कर रही है. इसके अलावा बीते साल ही इंफ़ोसिस कंपनी 1380 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया गया था जो नेटवर्क तैयार करने और तकनीकी पहलुओं को सक्षम बनाने के साथ साथ पांच साल तक देखरेख का भी काम संभालेगी.
यानी मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि जीएसटी बिल की सांसे तभी चलनी शुरू होंगी जब ये सारे काम एक साथ, सही समय पर और एक राय के साथ पूरे हों. हालांकि अब भी माना जा रहा है कि जीएसटी बिल का दिल कहे जाने वाले टैक्स की दर को लेकर तक़रार की स्थिति बन सकती है लेकिन अगर सरकार मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यन और राज्यों के वित्तमंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी की सिफ़ारिशों को सुनती दिखी तो टैक्स की दर 18 फ़ीसदी के आसपास ही रह सकती है और ऐसे में बिल को और ज्यादा पटखनी खाने और दांव पेंच से गुज़रने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.
ऐसे में राजस्व सचिव का यह बयान बिलकुल भी गलत नहीं है कि 'ये तो अंत की शुरुआत है.' और सरकार को इस शुरुआत को अंत तक पहुंचाने के लिए अभी अपनी कोशिशों की गाड़ी के टैंक को मेहनत और सियासी सूझबूझ के पेट्रोल से फ़ुल रखना होगा.
कुछ और महतवपूर्ण बाते
- One Nation One Tax सिस्टम
- राज्य सभा में सर्वसम्मति से Pass, लेकिन प्रत्येक विधानसभा में Pass होना बाकी
- कुछ वस्तुएं और भी महँगी हो सकती है जैसे packed food, Jewelry item आदि
- घर में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रिकल गुड्स सस्ते हो सकते है, क्योंकि अब Excise Duty 12.5% तथा VAT 14.5% दोनों के स्थान पर केवल एक GST 18% ही चुकाना होगा.
- फ़िलहाल सभी Services पर कुल 15 % Service Tax चुकाना पड़ता है, जो की GST BILL के बाद बढ़ जायेगा अर्थात् Phone Bill, Repairing Bill आदि महंगे हो सकते है.
- अभी मकान खरीदते समय Service Tax और VAT दोनों देने पड़ते है लेकिन GST Bill के बाद सिर्फ GST देना होगा
- किसी भी Manufacturing Industry को Excise Duty, Sales Tax समेत लगभग 13-14 तरह के Tax चुकाने पड़ते है जिसमे समय और पैसा दोनों ही अधिक लगता है, जबकि GST Bill के बाद सिर्फ एक ही Tax भरना होगा और विभिन्न कार्यालयों के चक्कर, payment. Returns आदि से आज़ादी मिल जाएगी.
- GST तीन प्रकार का होगा CGST (Central), SGST (state) और IGST (इंटरस्टेट)
विभिन्न टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाएगा जीएसटी
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की 'जटिलताओं' को लेकर अखिल भारतीय व्यापारी महासंघ (कैट) की चिंताओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि प्रस्तावित कराधान प्रणाली से विभिन्न करों के जाल और व्यापारिक समुदाय के 'कष्टों' का अंत होगा।कैट का एक प्रतिनिधि मंडल इसके महासचिव प्रवीण खंडेलवाल की अगुवाई में शनिवार को वित्त मंत्री जेटली से मिला था।
खंडेलवाल ने कहा, 'वित्त मंत्री ने आश्वस्त किया कि प्रस्तावित जीएसटी से कराधान प्रणाली सरल होगी और मौजूदा कराधान प्रणाली के कारण व्यापारिक समुदाय के सामने आ रही दिक्कतें समाप्त होंगी।' इसके साथ ही जेटली ने यह वादा भी किया कि उत्पादन से वितरण तक विभिन्न चरणों में लगने वाले अलग-अलग करों के जाल को भी यह जीएसटी समाप्त कर देगा।खंडेलवाल ने कहा कि गस्त लोगो की समस्यो को कम करने के लिए है
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि सालाना 20 से 25 लाख रुपये के कारोबार वाले लघु व्यापारियों को जीएसटी से छूट दी जाएगी और केंद्र तथा राज्य संभवत: इस सीमा पर सहमत होंगे.
सीएसटी के मद में राज्यों का 34 हजार करोड़ रुपये का बकाया था। इसी वजह से राज्य सरकारें नाराज थीं और इस अहम सुधार में अड़चनें डाल रही थीं।