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GST Bill को India के Tax System में महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है. संविधान का 122 वां संशोधन है GST Bill. के भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी प्रभावित कर सकता है GST Bill.

फ़िलहाल India के अलग अलग राज्यों में Tax System अलग अलग होने के कारण एक ही निर्माता की वस्तु का मूल्य विभिन्न राज्यों अलग अलग चुकाना पड़ता है और एक ही वस्तु पर कई प्रकिया के दौरान कई बार Tax वसूल कर लिया जाता है, जिससे उसकी कीमत का लगभग 30 से 45 प्रतिशत अतिरिक्त हमें Tax में चुकाना पड़ता है. GST BILL के लागु होने से किसी भी वस्तु पर केवल एक बार ही Tax लगेगा और वो भी सिर्फ MRP पर. इसकी अनुमानित दर 18% हो सकती है.


GST (जीएसटी) क्या है?

हेल्लो दोस्तों आज हम GST अथात् गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के बारे में चर्चा करेंगे आज में आपको बताऊंगा की GST (जीएसटी) क्या है और यह टैक्स किस पर लागू होगा, ताकि प्रतियोगी exam में जीएसटी से Related question आने पर आप आसानी से सही उत्तर टिक कर सकेंगे। हाँ तो दोस्तों हम सबसे पहले GST के बारे में विस्तार से जानेंगे, तो आप तैयार है

GST (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर है।


● जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान कर लगाया जाता है, जहां जीएसटी लागू नहीं है, वहां वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं।

● सरकार अगर इस बिल को 2016 से लागू कर देती तो हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट टैक्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह पर केवल एक ही टैक्स लगेगा।

क्यों जरूरी है जीएसटी – Why GST Bill

भारत का वर्तमान कर ढांचा (Tax Structure) बहुत ही जटिल है। भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्य सरकार और वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। इस कारण देश में अलग अलग तरह प्रकार के कर लागू है, जिससे देश की वर्तमान कर व्यवस्था बहुत ही जटिल है। कंपनियों और छोटे व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रकार के कर कानूनों का पालन करना एक मुश्किल होताहै।

टैक्स पर टैक्स की व्यवस्था समाप्त होगी  – GST will eliminate Cascading Effect

अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxation System) व्यवस्था में कर-भार अंतिम उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है, लेकिन कर का संग्रहण (Collection of Tax) व्यवसायियों द्वारा किया जाता है। व्यवसायी को ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर की क्रेडिट (Input Credit) मिलती है जिसका उपयोग वह अपने कर के भुगतान में कर सकता है। इस व्यवस्था से कर केवल मूल्य संवर्धन (बिक्री – खरीद) या (Value Addition) पर ही लगता है। व्यवसायी उपभोक्ता से कर संग्रहित करता है और उसमें से अपनी इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) को घटाकर बाकी कर सरकार को जमा करवाते है।

लेकिन वर्तमान व्यवस्था में भारत में केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क(Excise Duty) व सेवा कर (Service Tax) और राज्य सरकार द्वारा बिक्री कर(VAT or Sales Tax) लगाया जाता है। इस कारण व्यवसायी को उत्पाद शुल्क और सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर ) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता। इस कारण वर्तमान व्यवस्था में टैक्स पर टैक्स लग जाता है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है ।

GST लागू होने से पूरे देश में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर होगा जिससे व्यवसायियों को ख़रीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट (Credit) मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे टैक्स केवल मूल्य संवर्धन पर ही लगेगा और टैक्स पर टैक्स लगाने की व्यवस्था समाप्त होगी जिससे लागत में कमी आएगी।

जीएसटी का आम लोगों पर प्रभाव – Impact of GST on General Public

●अप्रत्यक्ष करों का भार अंतिम उपभोक्ता को ही वहन करना पड़ता है। वर्तमान में एक ही वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार के अलग अलग टैक्स लगते है लेकिन जीएसटी आने से सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही प्रकार का टैक्स लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी। हालांकि इससे सेवाओं की लागत बढ़ जाएगी

●दूसरा सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि पूरे भारत में एक ही रेट से टैक्स लगेगा जिससे सभी राज्यों में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक जैसी होगी।

●Goods and Service Tax Law (GST) लागू होने से केंद्रीय सेल्स टैक्स (सीएसटी ), जीएसटी में समाहित हो जाएगा जिससे वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी।

जीएसटी का व्यवसायों पर प्रभाव – Impact of GST on Businesses

●वर्तमान में व्यवसायों को अलग-अलग प्रकार के अप्रत्यक्ष करों का भुगतान करना पड़ता है जैसे वस्तुओं के उत्पादन करने पर उत्पाद शुल्क, ट्रेडिंग करने पर सेल्स टैक्स, सेवा प्रदान करने पर सर्विस टैक्स आदि। इससे व्यवसायों को विभिन्न प्रकार के कर कानूनों की पालना करनी पड़ती है जो कि बहुत ही मुश्किल एंव जटिल कार्य है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से उन्हें केवल एक ही प्रकार अप्रत्यक्ष क़ानून का पालन करना होगा जिससे भारत में व्यवसाय में सरलता आएगी।

●वर्तमान में व्यवसायी, उत्पाद शुल्क व सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता। इस कारण वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ जाती है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से व्यवसायियों को सभी प्रकार की खरीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे लागत में कमी आएगी

●ऐसा कहा जा रहा है कि जीएसटी के आने से व्यवसाय करना आसान हो जाएगा लेकिन शुरूआती वर्षों में व्यवसायों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए जीएसटी में प्रत्येक महीने में तीन अलग अलग तरह के रिटर्न फाइल करने पड़ेंगे।

●वर्तमान में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों में थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) अलग अलग है। मुख्य रूप से सेल्स टैक्स में थ्रेसहोल्ड लिमिट 5 लाख, सर्विस टैक्स में 10 लाख और उत्पाद शुल्क में 1.5 करोड़ है। जीएसटी आने से सभी प्रकार के व्यवसायों (ट्रेडिंग, उत्पादक या सेवा प्रदाता ) के लिए एक ही प्रकार की थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) रखने का प्रस्ताव है। यह थ्रेसहोल्ड लिमिट इन तीनों कानूनों (सेल्स टैक्स, सेवा कर और उत्पाद शुल्क) की वर्तमान लिमिट को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी। जिसका मुख्य प्रभाव यह होगा कि छूट सीमा 50 लाख से कम ही रखी जाएगी जिससे छोटे उत्पादक जो कि वर्तमान में 1.5 करोड़ तक छूट सीमा का फायदा उठा रहे है वे भी जीएसटी के दायरे में आ जाएगें।

●वर्तमान में एक राज्य से दुसरे राज्य में माल बेचने पर 2% की दर से केंद्रीय सेल्स टैक्स लगता है जिसकी इनपुट क्रेडिट नहीं मिलती। जीएसटी के लागू होने के बाद से केंद्रीय सेल्स टैक्स नहीं लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी ।


क्या होंगे इसके फायदे ?

अब हम जीएसटी के फायदे के बारे में जानेंगे की जीएसटी के क्या-क्या फायदे है ।


● जीएसटी लागू होने से सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को होगा।


● पूरे देश में किसी भी वस्तु या सामान खरीदने या किसी भी प्रकार की सेवा लेने पर केवल एक ही टैक्स चुकाना पड़ेगा। यानी पूरे देश में किसी भी वस्तु की कीमत एक ही रहेगी। जैसे मान लीजिये अगर आप कोई गाड़ी दिल्ली में खरीदते हैं तो उसकी कीमत अलग होती है, वहीं किसी और राज्य में उसी गाड़ी को खरीदने के लिए अलग कीमत चुकानी पड़ती है. इसके लागू होने से कोई भी सामान किसी भी राज्य में एक ही रेट पर मिलेगा.


● अगर GST लागू हो जाता है तो कई बार टैक्स देने से छुटकारा मिल जाएगा।


● इससे कर की वसूली करते समय कर विभाग के अधिकारियों द्वारा कर में हेराफेरी की संभावना भी कम रहेगी ।


● एक ही व्यक्ति या संस्था पर कई बार टैक्स लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, सिर्फ इसी टैक्स से सारे टैक्स वसूल कर लिए जाएंगे. इसके अलावा जहां कई राज्यों में राजस्व बढ़ेगा तो कई जगह कीमतों में कमी भी होगी।

● कम होगी सामान की कीमत, इसके लागू होने से टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा जिससे काफी हद तक टैक्स विवाद कम होंगे.


● GSTलागू होने के बाद राज्यों को मिलने वाला वेट टैक्स, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स आदि भी खत्म हो जाएंगे।


● फिलहाल जो सामान खरीदते समय लोगों को उस पर 30-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाना पड़ता है वो भी घटकर 20-25 प्रतिशत पर आ जाने की संभावना हो जायेगी।

● इसके अलावा भारत की ग्रोथ रेट में भी एक से डेढ़ फीसदी की बढ़ोतरी होगी.


● जीएसटी लागू होने पर कंपनियों और व्यापारियों को भी फायदा होगा. सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. जब सामान बनाने की लागत घटेगी तो इससे सामान सस्ता भी होगा.

यह तो हो गई GST के फायदे की बात लेकिन अब हम इसके नुकसान के बारे में भी जानेंगे। अब आप सोच रहे होंगे की GST के लागु होने पर क्या नुकसान हो सकता है । तो आपका उत्तर हम आपको विस्तार से देंगे आगे पड़े - 


GST लागु होने पर किसको होगा नुकसान

आइये जानते है की GST लागु होने पर किसको होगा नुकसान

जीएसटी लागू होने से केंद्र को तो फायदा होगा लेकिन राज्यों को इस बात का डर था कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि इसके बाद वे कई तरह के टैक्स नहीं वसूले पाएंगे जिससे उनकी कमाई कम हो जाएगी. गौरतलब है कि पेट्रोल व डीजल से तो कई राज्यों का आधा बजट चलता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने राज्यों को राहत देते हुए मंजूरी दे दी है कि वे इन वस्तुओं पर शुरुआती सालों में टैक्स लेते रहें. राज्यों का जो भी नुकसान होगा, केंद्र उसकी भरपाई पांच साल तक करेगा।


What is Goods and Service Tax – GST क्या है?

जीएसटी (GST), भारत के कर ढांचें में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम है। वस्तु एंव सेवा कर (Goods and Service Tax) एक अप्रत्यक्ष कर कानून है (Indirect Tax) है। जीएसटी एक एकीकृत कर है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। जीएसटी लागू होने से पूरा देश,एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Excise), सेवा कर (Service Tax), वैट (Vat), मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी टैक्स आदि जीएसटी में समाहित हो जाएंगे। इससे पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा


क्यों जरूरी है जीएसटी – Why GST Bill

भारत का वर्तमान कर ढांचा (Tax Structure) बहुत ही जटिल है। भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्य सरकार और वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। इस कारण देश में अलग अलग तरह प्रकार के कर लागू है, जिससे देश की वर्तमान कर व्यवस्था बहुत ही जटिल है। कंपनियों और छोटे व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रकार के कर कानूनों का पालन करना एक मुश्किल होता है।


टैक्स पर टैक्स की व्यवस्था समाप्त होगी – GST will eliminate Cascading Effect

अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxation System) व्यवस्था में कर-भार अंतिम उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है, लेकिन कर का संग्रहण (Collection of Tax) व्यवसायियों द्वारा किया जाता है। व्यवसायी को ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर की क्रेडिट (Input Credit) मिलती है जिसका उपयोग वह अपने कर के भुगतान में कर सकता है। इस व्यवस्था से कर केवल मूल्य संवर्धन (बिक्री – खरीद) या (Value Addition) पर ही लगता है। व्यवसायी उपभोक्ता से कर संग्रहित करता है और उसमें से अपनी इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) को घटाकर बाकी कर सरकार को जमा करवाते है।

लेकिन वर्तमान व्यवस्था में भारत में केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क(Excise Duty) व सेवा कर (Service Tax) और राज्य सरकार द्वारा बिक्री कर(VAT or Sales Tax) लगाया जाता है। इस कारण व्यवसायी को उत्पाद शुल्क और सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर ) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता। इस कारण वर्तमान व्यवस्था में टैक्स पर टैक्स लग जाता है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है ।

GST लागू होने से पूरे देश में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर होगा जिससे व्यवसायियों को ख़रीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट (Credit) मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे टैक्स केवल मूल्य संवर्धन पर ही लगेगा और टैक्स पर टैक्स लगाने की व्यवस्था समाप्त होगी जिससे लागत में कमी आएगी।


जीएसटी का आम लोगों पर प्रभाव – Impact of GST on General Public

अप्रत्यक्ष करों का भार अंतिम उपभोक्ता को ही वहन करना पड़ता है। वर्तमान में एक ही वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार के अलग अलग टैक्स लगते है लेकिन जीएसटी आने से सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही प्रकार का टैक्स लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी। हालांकि इससे सेवाओं की लागत बढ़ जाएगी


● दूसरा सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि पूरे भारत में एक ही रेट से टैक्स लगेगा जिससे सभी राज्यों में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक जैसी होगी।


● Goods and Service Tax Law (GST) लागू होने से केंद्रीय सेल्स टैक्स (सीएसटी ), जीएसटी में समाहित हो जाएगा जिससे वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी ।


जीएसटी की मुख्य बातें – Benefits/Salient features of GST

 GST

केवल अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत करेगा, प्रत्यक्ष कर जैसे आय-कर आदि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार ही लगेंगे।


● जीएसटी के लागू होने से पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा जिससे वस्तुओं और सेवाओं की लागत में स्थिरता आएगी

●संघीय ढांचे को बनाए रखने के लिए जीएसटी दो स्तर पर लगेगा – सीजीएसटी (केंद्रीय वस्तु एंव सेवा कर) और एसजीएसटी (राज्य वस्तु एंव सेवा कर)। सीजीएसटी का हिस्सा केंद्र को और एसजीएसटी का हिस्सा राज्य सरकार को प्राप्त होगा।एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की स्थति में आईजीएसटी (एकीकृत वस्तु एंव सेवाकर) लगेगा। आईजीएसटी का एक हिस्सा केंद्रसरकार और दूसरा हिस्सा वस्तु या सेवा का उपभोग करने वाले राज्य को प्राप्त होगा।

● व्यवसायी ख़रीदी गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी की इनपुट क्रेडिट ले सकेंगे जिनका उपयोग वे बेचीं गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी के भुगतान में कर सकेंगे।सीजीएसटी की इनपुट क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी व सीजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान, एसजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग एसजीएसटी व आईजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान और आईजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी, सीजीएसटी व एसजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान में किया जा सकेगा ।

● GST के तहत उन सभी व्यवसायी, उत्पादक या सेवा प्रदाता को रजिस्टर्ड होना होगा जिन की वर्षभर में कुल बिक्री का मूल्य एक निश्चित मूल्य से ज्यादा है।

●प्रस्तावित जीएसटी में व्यवसायियों को मुख्य रूप से तीन अलग अलग प्रकार के टैक्स रिटर्न भरने होंगे जिसमें इनपुट टैक्स, आउटपुट टैक्स और एकीकृत रिटर्न शामिल है।


जीएसटी का व्यवसायों पर प्रभाव – Impact of GST on Businesses

वर्तमान में व्यवसायों को अलग-अलग प्रकार के अप्रत्यक्ष करों का भुगतान करना पड़ता है जैसे वस्तुओं के उत्पादन करने पर उत्पाद शुल्क, ट्रेडिंग करने पर सेल्स टैक्स, सेवा प्रदान करने पर सर्विस टैक्स आदि। इससे व्यवसायों को विभिन्न प्रकार के कर कानूनों की पालना करनी पड़ती है जो कि बहुत ही मुश्किल एंव जटिल कार्य है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से उन्हें केवल एक ही प्रकार अप्रत्यक्ष क़ानून का पालन करना होगा जिससे भारत में व्यवसाय में सरलता आएगी।

● वर्तमान में व्यवसायी, उत्पाद शुल्क व सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता। इस कारण वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ जाती है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से व्यवसायियों को सभी प्रकार की खरीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे लागत में कमी आएगी


●ऐसा कहा जा रहा है कि जीएसटी के आने से व्यवसाय करना आसान हो जाएगा लेकिन शुरूआती वर्षों में व्यवसायों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए जीएसटी में प्रत्येक महीने में तीन अलग अलग तरह के रिटर्न फाइल करने पड़ेंगे।

●वर्तमान में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों में थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) अलग अलग है। मुख्य रूप से सेल्स टैक्स में थ्रेसहोल्ड लिमिट 5 लाख, सर्विस टैक्स में 10 लाख और उत्पाद शुल्क में 1.5 करोड़ है। जीएसटी आने से सभी प्रकार के व्यवसायों (ट्रेडिंग, उत्पादक या सेवा प्रदाता ) के लिए एक ही प्रकार की थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) रखने का प्रस्ताव है। यह थ्रेसहोल्ड लिमिट इन तीनों कानूनों (सेल्स टैक्स, सेवा कर और उत्पाद शुल्क) की वर्तमान लिमिट को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी। जिसका मुख्य प्रभाव यह होगा कि छूट सीमा 50 लाख से कम ही रखी जाएगी जिससे छोटे उत्पादक जो कि वर्तमान में 1.5 करोड़ तक छूट सीमा का फायदा उठा रहे है वे भी जीएसटी के दायरे में आ जाएगें।

● वर्तमान में एक राज्य से दुसरे राज्य में माल बेचने पर 2 percent की दर से केंद्रीय सेल्स टैक्स लगता है जिसकी इनपुट क्रेडिट नहीं मिलती। जीएसटी के लागू होने के बाद से केंद्रीय सेल्स टैक्स नहीं लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी । हालांकि ऐसा प्रस्ताव था कि शुरूआती कुछ वर्षों में उत्पादक राज्यों में 1 percent की दर से अतिरिक्त जीएसटी लगाया जाएगा ताकि जीएसटी की वजह से कुछ उत्पादक राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान से बचाया जा सके लेकिन मुख्य विपक्षी दल के विरोध के कारण इस प्रस्ताव को वापस लिया जा सकता है


जीएसटी का व्यवसायों पर प्रभाव – Impact of GST on Businesses

वर्तमान में व्यवसायों को अलग-अलग प्रकार के अप्रत्यक्ष करों का भुगतान करना पड़ता है जैसे वस्तुओं के उत्पादन करने पर उत्पाद शुल्क, ट्रेडिंग करने पर सेल्स टैक्स, सेवा प्रदान करने पर सर्विस टैक्स आदि। इससे व्यवसायों को विभिन्न प्रकार के कर कानूनों की पालना करनी पड़ती है जो कि बहुत ही मुश्किल एंव जटिल कार्य है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से उन्हें केवल एक ही प्रकार अप्रत्यक्ष क़ानून का पालन करना होगा जिससे भारत में व्यवसाय में सरलता आएगी।

● वर्तमान में व्यवसायी, उत्पाद शुल्क व सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता। इस कारण वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ जाती है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से व्यवसायियों को सभी प्रकार की खरीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे लागत में कमी आएगी


● ऐसा कहा जा रहा है कि जीएसटी के आने से व्यवसाय करना आसान हो जाएगा लेकिन शुरूआती वर्षों में व्यवसायों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए जीएसटी में प्रत्येक महीने में तीन अलग अलग तरह के रिटर्न फाइल करने पड़ेंगे।


● वर्तमान में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों में थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) अलग अलग है। मुख्य रूप से सेल्स टैक्स में थ्रेसहोल्ड लिमिट 5 लाख, सर्विस टैक्स में 10 लाख और उत्पाद शुल्क में 1.5 करोड़ है। जीएसटी आने से सभी प्रकार के व्यवसायों (ट्रेडिंग, उत्पादक या सेवा प्रदाता ) के लिए एक ही प्रकार की थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) रखने का प्रस्ताव है। यह थ्रेसहोल्ड लिमिट इन तीनों कानूनों (सेल्स टैक्स, सेवा कर और उत्पाद शुल्क) की वर्तमान लिमिट को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी। जिसका मुख्य प्रभाव यह होगा कि छूट सीमा 50 लाख से कम ही रखी जाएगी जिससे छोटे उत्पादक जो कि वर्तमान में 1.5 करोड़ तक छूट सीमा का फायदा उठा रहे है वे भी जीएसटी के दायरे में आ जाएगें।

● वर्तमान में एक राज्य से दुसरे राज्य में माल बेचने पर 2 percent की दर से केंद्रीय सेल्स टैक्स लगता है जिसकी इनपुट क्रेडिट नहीं मिलती। जीएसटी के लागू होने के बाद से केंद्रीय सेल्स टैक्स नहीं लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी । हालांकि ऐसा प्रस्ताव था कि शुरूआती कुछ वर्षों में उत्पादक राज्यों में 1 percent की दर से अतिरिक्त जीएसटी लगाया जाएगा ताकि जीएसटी की वजह से कुछ उत्पादक राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान से बचाया जा सके लेकिन मुख्य विपक्षी दल के विरोध के कारण इस प्रस्ताव को वापस लिया जा सकता है


वस्तु एवं सेवा कर विधेयक बिल: भारत में वस्तु एवं सेवा कर विधेयक

(Goods and Services Tax (GST) Bill ), हाल ही में एक चर्चित एक विधेयक है जिसे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 3 अगस्त 2016 को राज्यसभा में पेश किया गया ।

जीएसटी पूरे देश के लिए एक अप्रत्‍यक्ष कर है जो भारत को एकीकृत साझा बाजार बना देगा। जीएसटी विनिर्माता से लेकर उपभोक्‍ता तक वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है।

प्रत्येक चरण पर भुगतान किये गये इनपुट करों का लाभ मूल्‍य संवर्धन के बाद के चरण में उपलब्‍ध होगा जो प्रत्‍येक चरण में मूल्‍य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्‍यक रूप से एक कर बना देता है।

अंतिम उपभोक्‍ताओं को इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा। इससे पिछले चरणों के सभी मुनाफे समाप्त हो जायेंगे। वस्तु एवं सेवा कर भारत की सबसे महत्वाकांक्षी अप्रत्यक्ष कर सुधार योजना है। वर्तमान में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली, आपूर्ति श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर केंद्र और राज्यों द्वारा लगाये जाने वाले बहु-स्तरीय करों में फंसी हुई है, जैसे आबकारी कर, चुंगी, केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) और मूल्य वर्धित कर इत्यादि। जीएसटी में ये सभी कर एक एकल शासन के तहत सम्मिलित हो जायेंगे। यदि अपनाया गया, तो जीएसटी विसंगतियों को दूर करके कर प्रशासन को अत्यंत सरल बना देगा। केंद्र और राज्य वस्तुओं और सेवाओं पर समान दरों पर कर अधिरोपित करेंगे। उदाहरणार्थ, यदि किसी वस्तु पर 20 प्रतिशत मान्य दर है, तो केंद्र और राज्य दोनों 10-10 प्रतिशत कर संग्रहित करेंगे।

 


जीएसटी बिल के प्रमुख लाभ

व्यापार और उद्योग के लिए आसान अनुपालन: एक मजबूत और व्‍यापक सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली भारत में जीएसटी व्‍यवस्‍था की नींव होगी इसलिए पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान आदि जैसी सभी कर भुगतान सेवाएं करदाताओं को ऑनलाइन उपलब्‍ध होंगी, जिससे इसका अनुपालन बहुत सरल और पारदर्शी हो जायेगा।

कर दरों और संरचनाओं की एकरूपता: जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्‍यक्ष कर दरें और ढांचे पूरे देश में एकसमान हैं। इससे निश्चिंतता में तो बढ़ोतरी होगी ही व्‍यापार करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे शब्‍दों में जीएसटी देश में व्‍यापार के कामकाज को कर तटस्‍थ बना देगा फिर चाहे व्‍यापार करने की जगह का चुनाव कहीं भी जाये।

 विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ: जीएसटी में केन्‍द्र और राज्‍यों के करों के शामिल होने और इनपुट वस्‍तुएं और सेवाएं पूर्ण और व्‍यापक रूप से समाहित होने और केन्‍द्रीय बिक्री कर चरणबद्ध रूप से बाहर हो जाने से स्‍थानीय रूप से निर्मित वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी। इससे भारतीय वस्‍तुओं और सेवाओं की अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतिस्‍पर्धा में बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।


केंद्र और राज्य सरकारों के लिए सरल और आसान प्रशासन : केंद्र और राज्य स्तर पर बहुआयामी अप्रत्‍यक्ष करों को जीएसटी लागू करके हटाया जा रहा है। मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली पर आधारित जीएसटी केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा अभी तक लगाए गए सभी अन्‍य प्रत्‍यक्ष करों की तुलना में प्रशासनिक नजरिए से बहुत सरल और आसान होगा।

अधिक राजस्‍व निपुणता :जीएसटी से सरकार के कर राजस्‍व की वसूली लागत में कमी आने की उम्‍मीद है। इसलिए इससे उच्‍च राजस्‍व निपुणता को बढ़ावा मिलेगा।


वस्‍तुओं और सेवाओं के मूल्‍य के अनुपा‍ती एकल एवं पारदर्शी कर: केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा लगाए गए बहुल अप्रत्‍यक्ष करों या मूल्‍य संवर्धन के प्रगामी चरणों में उपलब्‍ध गैर-इनपुट कर क्रेडिट के कारण आज देश में अनेक छिपे करों से अधिकांश वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत पर प्रभाव पड़ता है। जीएसटी के अधीन विनिर्माता से लेकर उपभोक्‍ताओं तक केवल एक ही कर लगेगा, जिससे अंतिम उपभोक्‍ता पर लगने वाले करों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।


जीएसटी बिल क्या है

कई वर्षों तक चली बहस चली। गुड्स और सर्विस टैक्स या वस्तु और सेवा कर या जीएसटी के हर पहलू पर चर्चा हुई। पक्ष-विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए गए। आखिरकार 3 अगस्त 2016 को जीएसटी से जुड़े संविधान (संशोधन) विधेयक ने राज्यसभा की बाधा भी पार कर ली।

इसे भारत में अब तक के सबसे बड़े आर्थिक सुधार के तौर पर देखा जा रहा है। एक देश, एक टैक्स वाली अर्थव्यवस्था। उद्योग और कारोबार इस महत्वपूर्ण सुधार की मांग लंबे समय से कर रहे थे और आखिरकार भारत भी एकल टैक्स से एक बाजार की शक्ल लेने को तैयार है।


जीएसटी बिल के उद्देश्य

प्रस्तावित जीएसटी बिल का उद्देश्य देश में एक समान और पारदर्शी टैक्स व्यवस्था को लागू करना है। ताकि कारोबार करना आसान हो सके। टैक्स बेस बढ़ सके और सरकार का राजस्व बढ़ सके। पूरी प्रक्रिया सुधरे और कई स्तरों पर लगने वाले टैक्स से मुक्ति मिले। कारोबारियों के लिए टैक्स जमा करना आसान हो। मुद्रास्फीति कम हो और जीडीपी को गति मिले।


नई जीएसटी व्यवस्था एक्साइज ड्यूटी, काउंटरवेलिंग टैक्स, सर्विस टैक्स जैसे 17 केंद्रीय और राज्यों के सेल्स टैक्स, वैट, ऑक्ट्राई और लग्जरी टैक्स जैसे अप्रत्यक्ष करों की जगह ले लेगी।


जीएसटी से अपेक्षित लाभ

1- ज्यादातर वस्तुओं की रिटेल कीमत कम होगी

2- जीडीपी में 1-2 प्रतिशत की वृद्धि होगी

3- लंबी अवधि में मुद्रास्फीति घटेगी

4- रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे

5- मार्केट में ई-कॉमर्स की स्थिति मजबूत होगी

6- दायरा बढ़ने से अप्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ेगा

7- लंबी अवधि में कर संग्रह का लक्ष्य अप्रत्यक्ष से प्रत्यक्ष करों की होगा

8- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा सुधरेगा


जीएसटी के तहत सेक्टर के हिसाब से किसे फायदा और किसे नुकसान होगाः

ज्यादातर विनिर्मित वस्तुओं की कीमतें कम होंगी, जिससे उनकी मांग बढ़ेगी। हालांकि, कुछ सेवाओं की लागत जरूर बढ़ जाएगी। जहां उपभोक्ताओं को ज्यादा खर्च करना होगा। हम यहां बता रहे हैं कि सेक्टर के हिसाब से किसे फायदा और किसे नुकसान होगाः


इन्हें होगा फायदा : मेक इन इंडिया और परिवहन

1- लॉजिस्टिक्स (परिवहन)

2- तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स के साथ ‘मेक इन इंडिया’ की बढ़ती मौजूदगी से लॉजिस्टिक्स में काम कर रही कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, इंटरग्लोब एविएशन, ऑलकार्गो, एजिस लॉजिस्टिक्स, अदानी एसईजेड, गुजरात पिपावाव जैसी कंपनियों में तेजी आएगी।

 

ऑटोमोबाइल्स

छोटी कार बनाने वाली कंपनियों, जैसे- मारुति, हुंडई और टाटा मोटर्स के साथ ही हीरो होंडा, आइशर, बजाज ऑटो को भी बहुत लाभ मिलने वाला है। इससे कीमतों में गिरावट तय है।

एफएमसीजी

हिंदुस्तान लीवर्स, पीएंडजी, गोदरेज और आईटीसी जैसी बड़ी एफएमसीजी कंपनियां भी बड़े पैमाने पर टैक्स और लॉजिस्टिक्स लागत कम कर सकेंगी।

उपभोक्ता उत्पाद

इस सेक्टर की ज्यादातर कंपनियों को टैक्स और लॉजिस्टिक्स की लागत कम होने का फायदा मिलेगा। सफेद सामान बनाने वाले, इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेस के सेक्टर को सबसे ज्यादा लाभ होगा।

सीमेंट

बुनियादी ढांचे में सीमेंट एक महत्वपूर्ण घटक है। ज्यादातर सीमेंट कंपनियों को मांग में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा। जीएसटी की वजह से लागत कम होने का फायदा मांग बढ़ने के तौर पर मिलेगा। इससे भारत में बुनियादी ढांचे की लागत कम होगी।


लग्जरी कार निर्माता

लग्जरी कारों का निर्माण महंगा होगा, जिससे इस पर कम बिक्री का दबाव भी बढ़ सकता है।

मोबाइल फोन

मोबाइल फोन खरीदारों को अपने फोन पर ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है।

मोबाइल फोन
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मोबाइल फोन खरीदारों को अपने फोन पर ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है।

ब्रांडेड ज्वेलरी

ब्रांडेड ज्वेलरी भी महंगी हो जाएगी। इससे टाइटन जैसी कंपनियों को नुकसान होगा, जो पहले ही सोने के आयात की भारी-भरकम कीमत चुका रही हैं।

फार्मास्युटिकल्स

ज्यादातर फार्मा कंपनियों को ज्यादा अप्रत्यक्ष कर चुकाना होगा। आने वाले समय में इसे लेकर प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं।

उपयोगी सामग्री

इलेक्ट्रिसिटी की बिक्री को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। कोयला-आधारित बिजली और नवीनीकृत ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों की लागत बढ़ सकती है।

तेल और गैस

एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ), हाई-स्पीड डीजल, कच्चा तेल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। यदि अप्रत्यक्ष करों को कम न किया गया तो नई व्यवस्था में निश्चित तौर पर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत बढ़ेगी।


जीएसटी व्यवस्ता को लागू करने में आने वाली चुनौतियां

2013 में, नया गुड्स और सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) स्थापित किया गया था। इसे जीएसटी की रीढ़ बनाने के लिए आईटी का बुनियादी ढांचा तैयार करने को कहा गया था।

29 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों को एक बाधारहित प्लेटफार्म पर लाना इतना आसान नहीं है। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, रिटर्न फाइलिंग, मॉनीटरिंग और सेटलमेंट की व्यवस्था को पुख्ता बनाना होगा।

समस्या यह है कि कई राज्यों में आईटी के बुनियादी ढांचे में बहुत बड़ा अंतर है। टेक्निकल दक्षता में भी काफी अंतर है। आईटी के बुनियादी ढांचे के साथ-साथ राज्यों में उपलब्ध स्टाफ की दक्षता भी एक चुनौती होगी। उन्हें प्रशिक्षित करना होगा। जीएसटी में उन्हें कुशल बनाने के लिए ज्यादा वक्त भी नहीं मिलेगा।

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