तेजपत्ता

तेजपत्ता - तेजपत्ता के सेहत से जुड़े फायदे व नुकसान - Tej Patta Health benefits side effects

तेजपत्ता का एक लम्बा इतिहास रहा है. प्राचीन रोम तथा मिस्र में इसकी सहायता से लोग अपने महान और आदरणीय लोगों को पहनाने के लिये मुकुट बनाया करते थे. ये महान लोग मुख्यतः राजा, योद्धा अथवा बड़े ज्ञानी होते थे. भारत में तेज़ पत्ते का प्रयोग खाने में मसाले के रूप में तथा आयुर्वेदिक औशधि के रूप में भी होता है. सूखे हुए अच्छे तेज़ पत्ते का प्रयोग खाने को सुगन्धित बनाने के लिए होता है. इसके प्रयोग के पहले पत्ते को तोड़ दिया जाता है. ऐसे व्यंजन जिसे बनने में एक लम्बा समय लगता है, तेज़ पत्ते का प्रयोग किया जाता है. एक बार व्यंजन तैयार हो जाने पर परोसने के पहले तेज़ पत्ते को निकाल दिया जाता है. तेज़ पत्ते से आने वाली सुगंध इसके स्वाद से अधिक महत्वपूर्ण होती है.

भारत की रसोई घरों में मसाले केवल स्वाद को बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि सेहत के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। भारतीय रसोई घर में उपयोग किए जाने वाले मसाले बहुत सारी बीमारियों में रामबाण इलाज का काम भी करते है। आज हम आपको रसोई घर में उपयोग किए जानते वाले ऐसे ही एक मसाले तेजपत्ते के उपयोग के बारे मे बताने जा रहे है।
तेजपत्ता का पेड़ हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में पाया जाता है। यह सिक्किम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में भी पैदा होता है। तेजपत्ता सदा हरा रहने वाला पेड़ है। तेजपत्ता का मसालों में प्रयोग किया जाता है। तेजपत्ता का रंग हरा तथा ऊपरी भाग चिकना होता है। इस पर तीन स्पष्ट शिराएं दिखाई पड़ती है। इसमें लौंग तथा दालचीनी की तरह की खुश्बू होती है। तेजपत्ता को धूप में सुखाकर प्रयोग में लिया जाता है।

तेज़ पत्ता एशिया के कई क्षेत्रों में पाया जाता है. इसके लिए गर्म जलवायु वाली जगह उत्तम है, अतः एशिया के मेडिटरेनीयन क्षेत्रों में इसकी बहुलता देखी जाती है. भौगोलिक रूप से इसे ‘मेडिटरेनीयन बे लीफ’ कहा जाता है. तेज़ पत्ते का पेड़ सदाबहार होता है, जिसकी ऊंचाई अधिकतम 12 मीटर की होती है. मूल रूप से तैयार एक तेज़ पत्ते का आकार 5 सेमी चौड़ा तथा 10 सेमी तक लम्बा होता है. इस पेड़ के अलावा कई और पेड़ है, जिनसे तेज़ पत्ता प्राप्त किया जाता है. स्थान के अनुसार इसे ‘कैलिफ़ोर्नियन बे लीफ’, ‘इन्डोनेशियाई बे लीफ’, ‘वेस्ट इंडियन बे लीफ़’, ‘इंडियन बे लीफ’ आदि कहा जाता है.

तेजपत्ता के आयुर्वेदिक गुण

  • तेजपत्ता स्वाद में हल्का, तीखा व मीठा होता है।
  • तेजपत्ता की प्रकृति गर्म होती है।
  • तेजपत्ता वातानुलोमक, मस्तिष्क (दिमाग) को शक्ति देने वाला, पेशाब को साफ करने वाला तथा आमाशय को शक्ति देने वाला होता है।
  • तेजपत्ता में दर्दनाशक तथा एंटी-ऑक्सीडेंड गुण पाए जाते हैं।

 

तेजपत्ते के फायदे

प्राचीन काल से ही इसका प्रयोग लीवर, आंत और किडनी के इलाज में होता रहा है. कई बार इसका इस्तेमाल मधुमक्खि के काट लेने पर ज़ख्म के स्थान पर किया जाता है. इन दिनों कई लोग इसका इस्तेमाल कई छोटी बड़ी रोगों के निवारण के लिए कर रहे हैं इसमें प्रचुर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट ,कॉपर ,पोटैशियम ,कैल्शियम ,सेलेनियम और आयरन पाया जाता है |जिससे हमारे शरीर को बहुत ही फायदा मिलता है |और ये हमारे शरीर को सुचारु रूप से चलाने में बहुत ही फायदा करता है |

  • सर्दी और बुखार से राहत : सर्दी अथवा बुखार होने पर तेज पत्ते को पानी के साथ उबाल लीजिये. इसके बाद इस उबले हुए पानी से एक साफ़ कपडा भिंगो कर रोगी के सर तथा छाती को सेंकने से उसे सर्दी- खांसी और छाती इन्फेक्शन से राहत मिलता है
  • डायबिटीज के लिए -डायबिटीज एक ऐसी समस्या है जिससे इंसान धीरे धीरे मानशिक व शारीरक रूप से कमजोर होता चला जाता है इस बीमारी को साइलेंट किलर भी कहा जाता है |डायबिटीज एक जेनेटिक समस्या भी है |जिन लोगो को मधुमेह है उन्हें तेजपत्ते का जरूर सेवन करना चाहिए |क्योकि तेजपाता इस रोग में एक दवाई का काम करता है |तेज पत्ता ब्लड में शुगर लेवल को सही रखता है |टाइप 2 वाली शुगर में तेजपत्ता बहुत ही जायदा असर करता है |डायबिटीज रोगियों को तेजपत्ता पानी में उबालकर इस पानी का सेवन करना चाहिए या फिर इसे पानी में उबालकर पीना चाहिए |इससे शुगर कण्ट्रोल में रहती है |
  • जायदा नींद आना -कई लोगो को बहुत जयादा नींद आती है और हमेशा ही सुस्त बने रहते है उनकी नींद सात से आठ घंटे लगातार सोने पर भी नींद पूरी नहीं होती है ऐसे में अगर आप रात को पानी में भीगा हुवा तेजपत्ते वाला पानी पि ले तो आपको दिन मी नींद नहीं आएगी |
  • पथरी के लिए फायदेमंद -आजकल के दूषित खानपान की वजह से किडनी या गुर्दे में पथरी होना स्वाभिविक है |अगर कोई व्यक्ति पथरी से परेशान है तो उसे तेजपत्ते का जरूर सेवन करना चाहिए |और इसके सेवन से पथरी का कटाव होता है जिससे आपको पथरी का दर्द नहीं होगा |
  • दर्द निवारण के लिए : तेज पत्ते के तेल का इस्तेमाल दर्द वाली जगह पर किया जा सकता है. इसके तेल में दर्द निवारक गुण है. इसके तेल के इस्तेमाल से सूजन, आमवती तथा अर्थराइटिक दर्द से आराम मिलता है
  • बुखार से राहत : तेज पत्ते के असाव से पसीना आता है. यदि किसी को बुखार हो तो रोगी को इसका जल दिया जा सकता है. इससे पसीना आता है और रोगी का बुखार उतरने लगता है
  • चहेरे को करे दाग धब्बो से मुक्त -अगर आप अपने चहरे को दाग धब्बो से रहित  व चमकाने के लिए कई तरह की क्रीम्स का प्रयोग करके थक गए है तो आप एक बहार तेज पत्ते का प्रयोग करके देखे |आपने तेजपत्ते को पानी में उबाळ लेना है और इस पानी से आपने चहरे को अच्छे से धो लेना है इससे आपका चेहरा दाग धब्बो से रहित हो जायेगा और साथ ही टेनिंग की समस्या भी दूर हो जाएगी |
  • पेट को रखे दुरुस्त -अगर आपको पेट की समस्याएं जैसे पेट में गैस होना ,जलन व कब्ज होना की समस्या हो तो आप तेजपाते का इस्तेमाल करे |इसके लिए आप एक तेजपाता व थोड़ी सी अदरक को दो कप पानी में तब तक उबाळे जब तक वह आधा न रह जाए और फिर आप इस पानी को पि ले इससे आपके पेट में अपच  की समस्या दूर हो जाएगी |
  • दांतो की करे सफाई -अगर आपके दांत पीले पड़ गए है तो आप तेजपत्ते को दांतो पर रगड़े इससे आपके दांत चमकने लगेंगे और आपको पीले दांतो की वजह से शर्मिंदा भी नहीं होना पड़ेगा |
  • पाचन में सहायक : तेज़ पत्ते के सेवन से पाचन तंत्र विकारों का इलाज हो सकता है. खाने में इसके इस्तेमाल से पेट फूलने से राहत मिलती है.
  • मोच :  तेजपत्ता और लौंग को एक साथ पीसकर बना लेप बना लें। इस लेप को मोच वाले स्थान पर लगाएं इससे धीर-धीरे सूजन दूर हो जाती है और मोच ठीक हो जाता है।
  • पेट के कीड़े : तेजपत्ता और जैतून के तेल को मिलाकर गुदाद्वार पर लगाने से पेट के कीड़े मर कर बाहर निकल जाते हैं।
  • नाक के रोग :  लगभग 250 मिलीग्राम से 600 मिलीग्राम तक तेजपत्ता का चूर्ण सुबह और शाम खाने से और इसके फल के काढ़े से रोजाना 2-3 बार नाक को धोने से नाक के रोग ठीक हो जाते हैं।
  • माइग्रेन व सिरदर्द में फायदेमंद -कई लोगो को सिरदर्द की बहुत ही शिकायत रहती है इसे लिए आप तेजपत्ते का इस्तेमाल करे |क्योकि तेजपत्ते में एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते है जो हमें दर्द से छुटकारा दिलाने में मदद करता है |इसके लिए आप तेजपत्ते के तैल का नप्रयोग करे इसे कानो के पीछे लगा ले इससे रक्त संचार सही रूप से होता है और हमें सिरदर्द से मुक्ति मिल जाती है |
  • विटामिन ए का अच्छा स्त्रोत : तेज़ पता विटामिन ए का बहुत अच्छा स्त्रोत है. इससे आँख का रेटिना स्वस्थ रहता है और आँख कई बीमारियों से बच जाती है. क्योंकि इसमें एंटी ओक्सीडेंट पाया जाता है अतः इसका सेवन त्वचा को क्षति से बचाता है और त्वचा स्वस्थ रहती है.
  • तंत्रिका तंत्र के नियमन में सहायक : इसमें बी काम्प्लेक्स ग्रुप के लगभग सभी विटामिन मसलन नियासिन पायरीडॉक्साईन, पैन्टोथेनिक अम्ल, राइबोफ्लेविन आदि मौजूद है. अतः इससे बने हर्बल चाय के सेवन से तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से चलने में मदद मिलती है.
  • बालो के लिए बहुत ही फायदेमंद -अगर आपके बाल रूखे या बेजान हो गए हो तो आप तेजपत्ते को पानी में उबाल कर इस पानी से अपने सिर को धो ले इससे बाल चमकने लग जाते है और ये पानी कंडीशनर का काम करता है |अगर आपके बालो में रुसी है तो आप तेजपत्ता को पीसकर चूर्ण बना ले और इसे दही में मिलाकर बालो की जड़ो में लगाए इससे बालो में से रुसी चली जाएगी |
  • कैंसर को करे दूर -तेजपत्ते के सेवन से कैंसर जैसे रोग दूर होते है |क्योकि इसमें कफेन एसिड ,iugiunel और एंटी ऑक्सीडेंट नामक तत्व पाए जाते है जिससे पेट से सम्बंधित कैंसर से मुक्ति मिल जाती है |
  • गर्भवस्था में बहुत ही लाभकारी -तेजपाता गर्भवस्था में बहुत ही फायदेमंद होता है क्योकि इसमें फोलिक एसिड होता है जो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है |लेकिन इसका प्रयोग सिमित मात्रा में ही करना चाहिए |
  • बच्चों का रोना : 
    • 2 से 3 ग्राम तेजपत्ता के चूर्ण को अदरक के रस और शहद के साथ बच्चो को खिलाने से बच्चों को होने वाले सभी रोगों में लाभ मिलता है।
    • लगभग 3 ग्राम तेजपत्ता (तेजपात) का चूर्ण बच्चों को सुबह-शाम देने से बच्चें के सभी प्रकार के रोग ठीक हो सकते हैं।
       दोषों को दूर करने वाला : मस्तगी और बिही का शर्बत तेजपत्ते के दोषों को दूर करता है।
  • सिर की जुंए : तेजपत्ता के 5 से 6 पत्तों को 1 गिलास पानी में इतना उबालें कि पानी आधा रह जाये और इस पानी से प्रतिदिन सिर में मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए। इससे सिर की जुंए मरकर निकल जाती हैं।
  • रक्तस्राव (खून का बहना) : नाक, मुंह, मल व मूत्र किसी भी अंग से रक्त (खून) निकलने पर ठंडा पानी 1 गिलास में 1 चम्मच पिसा हुआ तेजपत्ता मिलाकर हर 3 घंटे के बाद से सेवन करने से खून का बहना बंद हो जाता है।
  • दमा (श्वास) : 
    • तेजपत्ता और पीपल को 2-2 ग्राम की मात्रा में अदरक के मुरब्बे की चाशनी में छिड़ककर चटाने से दमा और श्वासनली के रोग ठीक हो जाते हैं।
    • सूखे तेजपत्ता का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में 1 कप गरम दूध के साथ सुबह-शाम को प्रतिदिन खाने से श्वास और दमा रोग में लाभ मिलता है।
  • खांसी : 
    • लगभग 1 चम्मच तेजपत्ता का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है।
    • तेजपत्ता की छाल और पीपल को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर उसमें 3 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से खांसी में आराम मिलता है।
    • तेजपत्ता (तेजपत्ता) का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम शहद और अदरक के रस के साथ सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है
    • तेजपत्ता (तेजपत्ता) की छाल का काढ़ा सुबह तथा शाम के समय में पीने से खांसी और अफारा दूर हो जाता है।
    • 60 ग्राम बिना बीज का मुनक्का, 60 ग्राम तेजपत्ता, 5 ग्राम पीपल का चूर्ण, 30 ग्राम कागजी बादाम या 5 ग्राम छोटी इलायची को एकसाथ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद इस चूर्ण को गुड़ में मिला दें। इसमें से चुटकी भर की मात्रा लेकर दूध के सेवन करने से खांसी आना बंद हो जाता है। 
  • अफारा (पेट फूलना) : 
    • तेजपत्ते का काढ़ा पीने से पसीना आता है और आंतों की खराबी दूर होती है जिसके फलस्वरूप पेट का फूलना तथा दस्त लगना आदि में लाभ मिलता है।
    • तेजपत्ता का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा सुबह और शाम पीने से पेट में गैस बनने की शिकायत दूर होती है।
  • ह्रदय स्वास्थ : इसमें कैफफ़िक अम्ल, सैलीसिलेट आदि तत्व पाए जाते हैं. ये सभी तत्व ह्रदय स्वास्थ को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसमे पाए जाने वाले रूटीन ह्रदय के कैपिलरी वाल को स्वस्थ रखता है. साथ ही केफिक अम्ल शरीर से अनावश्यक कोलेस्ट्रॉल को हटाने में मदद करता है.
  • गर्भाशय शुद्धि के लिए :
    • तेजपत्ता का बारीक चूर्ण 1 से 3 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय शुद्ध होता है।
    • तेजपत्ता को पानी में डालकर उबालें। जब पानी हल्का गर्म रहे तब उस पानी को किसी टब आदि में डालकर उसमें बैठ जाए इससे गर्भाशय का दर्द (पीड़ा) ठीक होता है।
    • प्रसूता (बच्चें को जन्म देने वाली महिला) को तेजपत्ता का काढ़ा लगभग 50 मिलीग्राम सुबह-शाम पिलाने से उसके शरीर में खून से सम्बंधित दोष तथा गर्भाशय के अन्य विकार नष्ट हो जाते हैं और गर्भाशय शुद्ध हो जाता है।
  • गर्भाशय का ढीलापन : गर्भाशय की शिथिलता (ढीलापन) को दूर करने के लिए तेजपत्ता का प्रयोग करना चाहिए। तेजपत्ता का चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से शिथिलता (ढीलापन) दूर हो जाती है। यदि गर्भाशय के शिथिलता (ढीलापन) के कारण गर्भपात हो रहा हो तो यह शिकायत भी इसके प्रयोग से दूर हो जाती है।
  • स्तनों को बढ़ाने के लिए : 
    • तेजपत्ता का चूर्ण सुबह तथा शाम सेवन करने से स्तनों के आकार में वृद्धि होती है।
    • तेजपत्ता का तेल किसी अन्य तेल में मिलाकर उससे स्तनों की मालिश सुबह तथा शाम को करने से स्तन के आकार में वृद्धि होती है।
  • बांझपन : बांझपन तथा गर्भपात की समस्या से पीड़ित स्त्री को तेजपत्ता का चूर्ण चौथाई चम्मच की मात्रा में 3 बार पानी के साथ प्रतिदिन सेवन कराएं। इससे कुछ महीने गर्भाशय की शिथिलता दूर होकर बांझपन तथा गर्भपात की समस्या दूर हो जाती है।
  • हकलाना, तुतलाना : रुक-रुक कर बोलने वाले या हकलाने वाले व्यक्ति को तेजपत्ता जीभ के नीचे रखकर चूसना चाहिए इससे हकलाना तथा तुतलाना दूर होता है।

 

तेज़ पत्ते में पाए जाने वाले आवश्यक तत्व

तेज पत्ते का इस्तेमाल मुख्यतः उसे सुखाकर किया जाता है. इस पत्ते में गहरी खुशबू तथा इसका स्वाद कड़वा होता है.

  • इसमें ‘यूकेलिप्टोल’ नामक आवश्यक तैलीय पदार्थ पाया जाता है. एक अध्ययन के अनुसार ये तत्व रसोईघर से कीड़े तथा तिलचट्टों को दूर रखने के लिए अतिउत्तम है.
  • तेज़ पत्ते के तेल में लगभग 81 विभिन्न तत्व पाए जाते हैं, जो किसी न किसी तरह से स्वास्थ को लाभ पहुंचाता है.
  • पोलीफिनोल नाम का एक सक्रीय तत्व इस पत्ते में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है.
  • इसमें पाया जाने वाला इन विट्रो नामक तत्व जल में घुलनशील पदार्थ है.

इसके अतिरिक्त प्रति सौ ग्राम तेज़ पत्ते में उपस्थित आवशयक तत्वों की मात्रा इस प्रकार है

ऊर्जा 313 किलो कैलोरी
कार्बो हाइड्रेट 74.97 ग्राम
प्रोटीन 7.61 मिलीग्राम
फैट 8.36 मिलीग्राम
कोलेस्ट्रोल 0 मिलीग्राम
फोलेट 180 एमसीजी
नियासिन 2.005 मिलीग्राम
पायरीडॉक्सिन 1.740 मिलीग्राम
विटामिन ए 6185 आई यू
विटामिन सी 46.5 मिलीग्राम
सोडियम 23 मिलीग्राम
पोटैशियम 529 मिलीग्राम
कैल्शियम 834 मिलीग्राम
आयरन 43 मिलीग्राम
मैंगनीज 8.167 मिलीग्राम
फॉस्फोरस 113 मिलीग्राम
जिंक 3.70 मिलीग्राम

 

तेज़ पत्ते का रसोई में प्रयोग

यद्यपि गहरे हरे रंग के तेज़ पत्ते का इस्तेमाल भी रसोई के लिए किया जा सकता है, किन्तु इसे कुछ दिन रख देने से इसका कडवापन कम होता जाता है. यदि खाना बनाते समय इसका इस्तेमाल किया गया है, तो परोसने के पहले इसे खाने से निकाल देना चाहिए. नीचे इसके प्रयोग के कुछ विशेष वर्णन दिए जा रहे हैं.

  • इसका इस्तेमाल मसाले के रूप में किया जा सकता है. मसाले में इसके प्रयोग से सब्ज़ियाँ या अन्य व्यंजन बहुत ही शानदार सुगंध से भर जाते है.
  • विभिन्न तरह के व्यंजनों मसलन सीफ़ूड, पोल्ट्री, मांस, पुलाव आदि में इसका विशेष रूप से प्रयोग होता है.
  • ब्रेड सौस, टोमेटो सौस आदि बनाने के लिए भी इसका प्रयोग होता है.
  • ‘कोर्ट बुलियन’ नामक एक पेय बनाने के लिए भी इसका प्रयोग होता है. ‘कोर्ट बुलियन’ दरअसल वाइट वाइन, प्याज, अजवायन, पानी आदि मिलाकर बनाया जाता है.
  • इन सबके अलावा कई मीठे व्यंजन जैसे स्वीटब्रेड, क्रीम आदि बनाने के लिए भी इसका प्रयोग होता है.

 

तेज पत्ते से नुकसान

यद्यपि तेज़पत्ते का इस्तेमाल बहुत लाभकारी होता है किन्तु अवश्यकता से अधिक इसके सेवन से कुछ परेशानियाँ ज़रूर होने लगती हैं.

  • तेजपत्ते का अत्यधिक सेवन करने से डायरिया अथवा वोमिटिंग होने की सम्भावना होती है.
  • गर्भावस्था में हर्बल चाय में इसे प्रयोग में लाने के पहले एक बार डॉक्टर से मशविरा लेना बहुत ज़रूरी होता है

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